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डब्बा

डब्बा।। एक संस्मरण बताती हूं। हुआ यूं कि एक रात मैं अपने बेड पर आराम से सो रही थी मेरा पूरा परिवार नीद में था कि तभी अचानक मुझ कुछ भारी सा लगा सर में मैं झटके से उठी और सर को झटका दिया तो पट्ट की आवज से कुछ गिरा मैंने तुरन्त इनको जगाया और लाइट जलाने को कहा ये इतनी गहरी नींद में थे इन्हें कुछ सेकेंड लगे पर जब लाइट जली वहाँ कुछ नही था ये बोले सो जाओ भृम होगा पर मैने कहा नही कुछ तो था शायद साँप हमने ढूढ़ना चालू किया जैसे ही गद्दे का कोना उठाया उसके अंदर कुंडली मार के भूरे रंग का साँप था पर जब तक हम कुछ सोच पाते वो बेड के अंदर चला  अब बेड में इतने कपड़े पर फिर बेड खोला तो कही नही दिख रहा था मैंने बेड से कपड़े हटाने शुरू किए मेरे हसबैंड मुझपर चिल्ला रहे थे मत करो बहादुर मत बनो  ये वो आदि आदि पर ऐसे कैसे सुबह का इन्तज़ार करती खैर कपड़े हटाते हुए वो एकदम नीचे दिखा मैने इनसे कहा कुछ ले आओ जिससे बस इसकी पूंछ दबा लो ये घबराहट में कुल्हाड़ी ले आये उसकी बेट बड़ी थी अब इन्होंने दबा तो लिया पर इनके हाथ बुरी तरह कांप रहे थे और वो सांप पूरा खड़ा हो जा रहा था उसकी लम्बाई बस इनके हाथ से एक इंच की दूरी के आसप